उस दिन
हम चाँद पर थे ,
उसने बित्ते भर का गड्डा खोदा,
अपने पर्स से निकालकर
इमली का एक बीज
गड्डे में रख
ढांप दिया मिटटी से .
मैंने कहा-
पागल हो गयी हो प्रिया !
चाँद पर बीज बो रही हो ?
प्रिया ने चुप रहने का इशारा किया
और हल्के से मुस्कुरायी.
वह घुटनों के बल बैठी,
आकाश की ओर उठे
उसके दोनों हाथ,
खुदा से एक मुख्तसर सी
गुजारिश हुई,
और..........
...उस रोज पहली दफा
चाँद पर बारिश हुई
-ajit pal singh daia