एक शाम
हम टहल रहे थे
बंगाराम द्वीप पर
कदम हम कदम .
तभी प्रिया ने कहा -
सुनो जी ,
कोई हमारा पीछा
कर रहा है .
मैंने कहा -
ज़रा ठहरो
और मैं
टांग आया
नारियल के
एक ऊँचे दरख़्त पर
चाँद को !!!
हम टहल रहे थे
बंगाराम द्वीप पर
कदम हम कदम .
तभी प्रिया ने कहा -
सुनो जी ,
कोई हमारा पीछा
कर रहा है .
मैंने कहा -
ज़रा ठहरो
और मैं
टांग आया
नारियल के
एक ऊँचे दरख़्त पर
चाँद को !!!
-अजीत पाल सिंह दैया
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कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
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