Tuesday, March 16, 2010

बंगाराम द्वीप

एक शाम
हम टहल रहे थे
बंगाराम द्वीप पर
कदम हम कदम .
तभी प्रिया ने कहा -
सुनो जी ,
कोई हमारा पीछा
कर रहा है .
मैंने कहा -
ज़रा ठहरो
और मैं
टांग आया
नारियल के
एक ऊँचे दरख़्त पर
चाँद को !!!

-अजीत पाल सिंह दैया

2 comments:

  1. मोबाइल से मुफ़्त में बातें करें।

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  2. कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

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