१
अमावस की रात फलक पर देखा कि
तारे झूम रहे थे 'मेक्सिकन वेव 'बनाकर
तारे झूम रहे थे 'मेक्सिकन वेव 'बनाकर
कहकशां से गुजर रहा था मैं ,प्रिया के संग ।
***
२
अम्मी से पूछो बबली , आज अमावस है क्या
चाँद नज़र नहीं आ रहा है अब तलक आकाश में
कैसे नज़र आएगा बाबा ,वोह तो मेरी ड्राइंगबुक में है।
***
३
होठ जल गए थे मेरे बोसा लेते वक्त
गुस्सा धर रखा था तबस्सुम की जगह
सिगापुर से गिफ्ट नहीं लाया था उसके लिए ।
***
४
मेज़ पर देर तलक बैठा रहा मैं
हाथ में शीशे के पेपरवेट के टुकड़े लिए
टूटे हुए सपने कहाँ कभी जुड़ा करते हैं ।
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-- अजीत पाल सिंह दैया
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