एक दफा
जा रहे थे हम दोनों
अनजान डगर पर कहीं ,
बहुत कहा था उसे
थाम कर रखना
मेरी उंगली को ,
पर मेरी अंगुली छुडा कर वोह
जा बैठा फलक पर
वोह चांद बड़ा चंचल था प्रिया।
-अजीतपाल सिंह दैया
जा रहे थे हम दोनों
अनजान डगर पर कहीं ,
बहुत कहा था उसे
थाम कर रखना
मेरी उंगली को ,
पर मेरी अंगुली छुडा कर वोह
जा बैठा फलक पर
वोह चांद बड़ा चंचल था प्रिया।
-अजीतपाल सिंह दैया
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