जुहू बीच पर
घुटनों तक पानी में खड़ी
तुम्हारी वय की
एक रूपसी को देखा,
तो तुम्हें याद किया.
नरीमन पॉइंट पर
एक मोड़ पर गुलमोहर को
फूलों से लदा देखा,
तो तुम्हें याद किया.
ज़हांगीर आर्ट गेलरी के बाहर
एक आर्टिस्ट को देखा
एक युवती का पोर्ट्रेट बनाते,
तो तुम्हें याद किया.
गेट वे ऑफ़ इंडिया पर
एक षोडशी पृष्ठभूमि में
स्थित ताज होटल के गुम्बद को
अपनी अंगुली से छूने का
बनाकर पोज़
अपना फोटो खिंचवाने को तत्पर दिखी,
तो तुम्हें याद किया.
तुम्हारे मेरे बीच मीलों
ये दूरियां हाय, ये मजबूरियां.
ओह प्रिया! तुम्हारी याद में
ये देखो मेरी आँखें जल रही हैं
आंसू आ रहे हैं.
वह बोली- चल झूठे,
किचन में काट रही हूँ
प्याज़ सो आंसू आ रहे हैं तुम्हारे,
लो सेलफोन रखो,
दाल में तड़का लगाने जा रही हूँ मैं.
--अजीत पाल सिंह दैया
घुटनों तक पानी में खड़ी
तुम्हारी वय की
एक रूपसी को देखा,
तो तुम्हें याद किया.
नरीमन पॉइंट पर
एक मोड़ पर गुलमोहर को
फूलों से लदा देखा,
तो तुम्हें याद किया.
ज़हांगीर आर्ट गेलरी के बाहर
एक आर्टिस्ट को देखा
एक युवती का पोर्ट्रेट बनाते,
तो तुम्हें याद किया.
गेट वे ऑफ़ इंडिया पर
एक षोडशी पृष्ठभूमि में
स्थित ताज होटल के गुम्बद को
अपनी अंगुली से छूने का
बनाकर पोज़
अपना फोटो खिंचवाने को तत्पर दिखी,
तो तुम्हें याद किया.
तुम्हारे मेरे बीच मीलों
ये दूरियां हाय, ये मजबूरियां.
ओह प्रिया! तुम्हारी याद में
ये देखो मेरी आँखें जल रही हैं
आंसू आ रहे हैं.
वह बोली- चल झूठे,
किचन में काट रही हूँ
प्याज़ सो आंसू आ रहे हैं तुम्हारे,
लो सेलफोन रखो,
दाल में तड़का लगाने जा रही हूँ मैं.
--अजीत पाल सिंह दैया
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