आँगन में मोर ।
मां ने डाली होगी ज्वार
जग कर अल भोर ।
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रात में चूहों का गीत।
कुतर रहे होंगे सभी
दादा का पुराना सितार ।
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मेरी पतंग नहीं उडी ।
कल शाम को
वोह छत पर नहीं आई।
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दाल में मिर्ची ठीक ।
एक चम्मच नमक डाल
पत्नी पर झल्लाया ।
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तुम्हारी आंखों में आकाश
मैंने ऊपर देखा तो
ऊपर भी आकाश ।
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bahut khoob likhi hain ye triveniyan...badhai
ReplyDeletewah bhaut hi alag style hai aapki writing ka...bahut dilchasp
ReplyDeleteबन्धुवर ये हाइकु नहीं है । कृपया हाइकु के लिए
ReplyDeleteहिन्दी हाइकु देखिएगा-http://hindihaiku.wordpress.com/