अजीतपाल सिंह दैया
AJIT PAL SINGH DAIA
Saturday, March 9, 2013
आदत
मुनासिब नहीं है आजकल
रात को छ्त पर लेटना
आसमां से चिंगारियों को देखा है मैंने
ज़मीन की ओर गिरते ,
चाँद को आदत हो गयी है शायद
सिगरेटें फूंकने की!
-
अजीतपाल सिंह दैया
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment