हिमाचल की वादी में
मैंने पुकारा तुम्हें
तुम ध्वनित होती रही
सदा बनकर बार बार ।
मौसम की पहली
बर्फ सी चनार पर
तुम्हारी हँसी ढूंढता हूँ
दाने अनार पर
शायद तुम्हें न एतबार हो
तुम मेरी मुख्तसर सी
नज्म गुलज़ार हो।
----अजीत पाल सिंह दैया
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