रात की तन्हाईयों में
गूँजती हुई
शबे वस्ल की शहनाइयों में
बातें करता हूँ मैं
तेरी यादों से
मैं ,
तेरी यादें
और तेरे ज़िक्र की खुशबू
पलकों पर सहेजकर
सो गया हूँ
तेरे अहसास का
लिहाफ ओढ़ कर।
--अजीत पाल सिंह दैया
गूँजती हुई
शबे वस्ल की शहनाइयों में
बातें करता हूँ मैं
तेरी यादों से
मैं ,
तेरी यादें
और तेरे ज़िक्र की खुशबू
पलकों पर सहेजकर
सो गया हूँ
तेरे अहसास का
लिहाफ ओढ़ कर।
--अजीत पाल सिंह दैया
bhaiya, badi khubsurat kavita thi.
ReplyDeletemagar urdu jara thos thi. lolz.
to ajit bhiya, jodhpur me kya hal chal hai?
aur maharashtra kaisa laga?
its o.k. in jodhpur and i m enjoying myself in Maharastra.
ReplyDeleteand hw r u!