Monday, April 6, 2009

तेरा अहसास

रात की तन्हाईयों में
गूँजती हुई
शबे वस्ल की शहनाइयों में
बातें करता हूँ मैं
तेरी यादों से
मैं ,
तेरी यादें
और तेरे ज़िक्र की खुशबू
पलकों पर सहेजकर
सो गया हूँ
तेरे अहसास का
लिहाफ ओढ़ कर।
--अजीत पाल सिंह दैया

2 comments:

  1. bhaiya, badi khubsurat kavita thi.
    magar urdu jara thos thi. lolz.

    to ajit bhiya, jodhpur me kya hal chal hai?
    aur maharashtra kaisa laga?

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  2. its o.k. in jodhpur and i m enjoying myself in Maharastra.
    and hw r u!

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