हर सुबह
खिड़कियों से
दाखिल होकर
मेरे कमरे में
किरण ,
समेट कर
रजनी की रजाई
मेरी पलकों पर
हल्का सा
चुम्बन देकर
खींच लाती है
मुझे सपनों की
वादियों से बाहर .
-APSD
खिड़कियों से
दाखिल होकर
मेरे कमरे में
किरण ,
समेट कर
रजनी की रजाई
मेरी पलकों पर
हल्का सा
चुम्बन देकर
खींच लाती है
मुझे सपनों की
वादियों से बाहर .
-APSD