Friday, July 15, 2011

रंगीन ज़िंदगी


तमाम सफहे मेरी डायरी के
फड़फड़ाकर उड़ने लगे
आसमां में ।
लोगों ने कहा -
' अहा , पतंग महोत्सव है !'
मैंने कहा -
' कमबख्त हवा ,
मुझे आज मालूम हुआ
कितनी रंगीन थी
ज़िंदगी !!!'
- अजीतपाल सिंह दैया