Wednesday, March 31, 2010

सिंगापुर -2

ओ प्रिया ,
उस रात
मलय पार्क में
जब मैं
सिंगापुर फ्लायर को
निहार रहा था ,
तो मुझे सुनायी दी
मेरी नज्में ,
मैंने पलट कर देखा -
कि मरलिओन
गुनगुना रहा था मेरी नज्में
मुझे कौतुहल में पाकर
उसने आकाश की ओर
इशारा किया
मैंने ऊपर देखा -
मंद मंद
मुस्कुरा रहा था चाँद!!!
-अजीत पाल सिंह दैया

Tuesday, March 30, 2010

सिंगापुर -1

सकते में थे
उस दिन
तमाम सिंगापुरवासी ,
फुरामा रिवर फ्रंट के
छठे माले के
एक कमरे की खिड़की में
झांकता रहा देर तलक चाँद .
ज़ुरांग बर्ड पार्क में
सभी पक्षी
अचानक गोरैयायें बन
चहचहाने लगे .
चांगी इंटरनॅशनल एयरपोर्ट से
हेव्लोक रोड तक
खिल उठे गुलमोहर के फूल ,
सेंतोसा आइलैंड पर
'द सोंग ऑफ़ द सी 'में
चीनी नर्तक
गुनगुना रहे थे
उर्दू नज्में ,
और 'बीच' पर पानी में
बने बांस के घरों पर
लेसर शो में
उस रात
प्रिंसेस एनी की जगह
नज़र आई
एक भारतीय युवती
और तभी लगून की डोल्फिनें
अचानक चिल्लाने लगी -
प्रिया ! प्रिया ! प्रिया !
अगले रोज़
सिंगापुर के
'द स्ट्रेट्स टाइम्स' में
हेडलाइन छपी -
"नज्मोंवाला अब सिंगापुर सिटी में !!!"-अजीत पाल सिंह दैया

Tuesday, March 16, 2010

अगाती द्वीप

उस दिन
मैं अगाती द्वीप के
बीच पर
करता रहा दिन भर
चहल -कदमी ,
जब मैं
थक कर हुआ चूर
तो मुझे प्यास लगी ,
सामने हिलोरे मारता सागर
पर इसके पानी को
कैसे पीयूं?
मैंने
बीच की रेती पर
अंगुली से प्रिया लिखा ,
सागर की एक लहर आई
और छू गयी
प्रिया के नाम को .
...मैंने उसी लहर का पानी पीया
...मीठा जो हो गया था
वह पानी !!!!


-अजीत पाल सिंह दैया

बंगाराम द्वीप

एक शाम
हम टहल रहे थे
बंगाराम द्वीप पर
कदम हम कदम .
तभी प्रिया ने कहा -
सुनो जी ,
कोई हमारा पीछा
कर रहा है .
मैंने कहा -
ज़रा ठहरो
और मैं
टांग आया
नारियल के
एक ऊँचे दरख़्त पर
चाँद को !!!

-अजीत पाल सिंह दैया