Wednesday, July 4, 2012

एक दफा

एक दफा
जा रहे थे हम दोनों
अनजान डगर पर कहीं ,
बहुत कहा था उसे
थाम कर रखना
मेरी उंगली को ,
पर मेरी अंगुली छुडा कर वोह
जा बैठा फलक पर
वोह चांद बड़ा चंचल था प्रिया। 

-अजीतपाल सिंह दैया