Monday, December 7, 2015

एक लघु प्रेम कथा- ‘दिल्ली’

-तुम्हें ज़्यादा चर्बी चढ़ी थी देशभक्ति की। क्या जरूरत थी जॉब छोड़ने की?
-ऐसे मत कहो। इट वाज़ फॉर अ चेंज। हमें इंडिया बदलना था। अन्ना के काम को आगे बढ़ाना था।
-तुम क्या सोचते थे? जंतर मन्तर पर तुम्हारे धरना देने से कोई जंतर हो जायेगा। देश की तकदीर बदलने लगेगी रातों रात।
-रातों रात कुछ नहीं बदलता है। पर कहीं तो शुरुआत करनी पड़ती है न। अन्ना और केजरीवाल एक महायज्ञ कर रहे थे। मैं कैसे पीछे रहता।
-और तुमने उनके इस महायज्ञ में अपनी एमएनसी की अच्छी भली नौकरी छोड़ की आहुति दे दी।
-एक करप्शन फ्री कंट्री के लिये यह एक बहुत मामूली चीज़ थी।
-कुछ बदलेगा?
-जरूर। तुम देखती जाना।

*****

-सुना तुमने, केजरीवाल और अन्ना अलग हो गये हैं।
-हाँ।
-अब क्या होगा तुम्हारे इंडिया अगेंस्ट करप्शन का?
-चलेगा यूँ ही आगे। जब तक कंट्री करप्शन फ्री न हो जाये।
-तुम्हें नहीं लगता केजरीवाल ने पॉलिटिकल पार्टी बना कर अन्ना के साथ विश्वासघात किया है।
-नहीं, दोनों अपनी अपनी जगह ठीक हैं। पॉलिटिक्स को पॉलिटिक्स से ही बदला जा सकता है। हम नयी तरह की राजनीति करेंगें।
-तुम कबसे केजरीवाल की भाषा बोलने लग गये।
-सिस्टम को सिस्टम के बाहर रह कर नहीं बदला जा सकता। हमें सिस्टम के अंदर घुसना पड़ेगा। तभी हम करप्शन पर लग़ाम लगा पाएंगे। आम आदमी पार्टी में साफ़ सुथरे लोगों की एंट्री होगी। तुम देखना।
-हाँ देखती हूँ। तुम कैसे राजनीति चेंज करते हो?
-हम जरूर बदलेंगे। इसकी शुरुआत दिल्ली से होगी। हमें आम आदमी का समर्थन है।

*****

-यार, मुझे कतई उम्मीद नहीं थी। तुम लोग सत्ताईस सीटें जीत जाओगे।
-सच कहूँ, उम्मीद तो मुझे भी नहीं थी।
-पर तुम्हारी यह अल्पमत सरकार चलेगी कितना दिन? और बिना पर्याप्त समर्थन के कैसे लागू करोगे अपनी नीतियां।
-हमारी प्राथमिकता लोकपाल को लागू करवाना है।
-कैसे करवाओगे। दोनों ही प्रमुख पार्टियां नहीं चाहती। मेरी मानो तो आप लोगों को पहले दूसरे मुद्दों पर कुछ काम करके दिखाना चाहिए। लोकपाल की ढपली का राग अलापने से कुछ हासिल न होगा।
-हम लोकपाल को नहीं छोड़ सकते। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के लिये यह हमारा बुनियादी हथियार है।
-लो सुनो। आई हेव जस्ट रिसिव्ड दिस मैसेज ऑन व्हाट्सऐप कि….
-क्या?
-तुम्हारे केजरीवाल की 49 दिन की सरकार ने लोकपाल को लेकर इस्तीफ़ा दे दिया है। अब बोलो।
-बोलना क्या है? केजरीवाल ने कुछ सोच समझ कर ही यह कदम उठाया होगा। अगले चुनाव में हमारी पूर्ण सरकार बनेंगी।
-आर यू स्योर? तुम 27 सीटें भी बचा पाओगे। मुझे नहीं लगता।
-नहीं। दिल्ली की जनता चेंज चाहती है। हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी।
-अच्छा। आल द बेस्ट।

*****

-कितने महीने गुजर गए। तुम्हारी पूर्ण बहुमत की सरकार को दिल्ली पर राज करते। मुझे तो कुछ चेंज नहीं लग रहा है।
-चेंज हो रहा है। धीरे धीरे सामने आयेगा।
-तुम्हारे केजरीवाल तो बोलते थे कि हम अलग तरह की राजनीति करने आएं हैं। यही है तुम लोगों की सबकी तरह की अलग राजनीति। मुझे तो तुम लोग भी उसी थैली के चट्टे बट्टे बन गये लगते हो।
-हूँ।
-तर्क नही है अब तुम्हारे पास क्या? अच्छा यह बताओ। जिस लोकपाल को लेकर तुम्हारे केजरीवाल ने 49 दिनों में इस्तीफा दे दिया था। अभी तक क्यूँ नहीं लाये हो उस लोकपाल को जिसकी धुन पर तुम लोग नागिन डांस कर रहे थे।
-छोड़ों न अब इन बातों को।
-क्यूँ जवाब देते नहीं बन रहा है? सांप सूंघ गया है क्या? तुम्हारी सरकार के मंत्री एक एक कर जेल जा रहे हैं या इधर उधर भाग रहे हैं। कैसे चेंज करोगे सिस्टम को यार तुम लोग? अब यह मत बोलना कि साज़िश है यह अपोजिशन की। हमें काम नहीं करने दिया जा रहा है।
-क्या हम अपोलोटिकल नहीं हो सकते? हर समय यही बातें किया करते हैं, जब भी मिलते हैं।
-अच्छा नहीं करती। यह बताओ, तुम्हारे अकाउंट में कितने पैसे हैं? बचे भी हैं या जगह जगह उधारी चढ़ा दिये हो!
-नहीं नहीं। पड़े हैं कुछ पैसे अभी।
-देखो झूठ मत बोलो। फलाना एमएनसी के एक्स डिप्टी मैनेजर, मुझे नहीं लगता। क्या मुझे नहीं मालूम कि तुम कितना सैलरी पाते थे। मैं बात करूँ क्या, बॉस से। तुम फिर से यहां ज्वाइन कर लो। फिर से असिस्टेंट मैनेजर से शुरू करना पड़ेगा। नहीं तो अब तक सीनियर मैनेजर हो लिए होते।
-क्या फर्क़ पड़ता है?
-मतलब अभी तुम्हारा पॉलिटिक्स का भूत उतरा नहीं है। रुको, रुको। बिल में पे करती हूँ।
-नहीं, मैं देता हूँ न।
-क्यों, लड़की के पैसों से डिनर खाना अच्छा नहीं लगता क्या?
-नहीं, ऐसी बात नहीं है।
-अच्छा यह बताओ। तुम्हारे फ्लैट का भाड़ा कितने दिनों से बकाया है? सच बोलना।
-पांच महीने हो गए।
-यह लो मेरा डेबिट कार्ड। कल अपना सारा कर्ज़ा चुकता कर देना।
-नहीं नहीं। यह ठीक नहीं है।
-प्लीज, मेरी रिकेस्ट है। मैं नहीं चाहती कि तुम अपने सर पर इतनी देनदारियां लेकर फिरो।
-अच्छा।
-एक बात और। मानोगे।
-पहले बताओ तो।
-तुम गुड़गांव वाला अपना फ्लैट खाली कर दो। मेरे फ्लैट में शिफ्ट हो जाओ। आजकल मैं अकेली रह रही हूँ। मीरा मुंबई चली गयी है। प्लीज, कम विद मी। मुझे अच्छा लगेगा। एन्ड द अदर थिंग। इफ यू डोंट वांट टू ज्वाइन बेक दिस कम्पनी, देन आल्सो द्वारका इज़ नियरर टू जन्तर मन्तर। यू केन कंटिन्यू विद योर इंडिया अगेंस्ट करप्शन कैम्पेन। आइ ठु वांट ए चेंज, यार। मुझे इंतज़ार है उस दिन का। व्हेन, अवर कंट्री शैल बी टोटल करप्शन फ्री।
-अब, मैं एक बात कहूँ।
-क्या?
-आइ लव यू, अवंतिका।
-शट अप, अर्जुन।

© अजीतपाल सिंह दैया

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