तू धरती
मैं आसमान
चलें दूर
क्षितिज की सेज पर
सूरज के उगने से पहले
झुककर तुझ पर
मैं चूम लूँ तेरे लब
निस्संकोच
शफक के रंग में
किसे पता चलेगा
तेरे शर्मसार
रुखसारों की लाली भी
शामिल है उसमें।
-अजीत पाल सिंह दैया
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