Tuesday, February 23, 2010

फ़रवरी

मन वासंती ,तन वासंती
वासंती हो गयी फ़रवरी ,
लगी नाचने छम-छम धरती
ओढ़ कर सतरंगी चुनरी.
तितलियों के बजते नुपूर
कोकिल के मिसरी से सुर,
सुखद समीरण भीगे पलछिन
फूलों की खुशबुएँ अनगिन,
नई धूप सा रूप देश का
झूम रही लताएँ छरहरी ,
मन वासंती,तन वासंती
वासंती हो गयी फ़रवरी .
नव्य-नवेली परियों के चर्चे
मौसम के हैं तेवर तिरछे ,
सुधा से वसुधा सरसे
इन्द्रधनु के रंग बरसे.
किसलय नवपल्लव वल्लरी
फिर फूली है आम्रमंजरी ,
मन वासंती ,तन वासंती
वासंती हो गयी फ़रवरी .
-अजीत पाल सिंह दैया

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