हर सुबह
खिड़कियों से
दाखिल होकर
मेरे कमरे में
किरण ,
समेट कर
रजनी की रजाई
मेरी पलकों पर
हल्का सा
चुम्बन देकर
खींच लाती है
मुझे सपनों की
वादियों से बाहर .
-APSD
खिड़कियों से
दाखिल होकर
मेरे कमरे में
किरण ,
समेट कर
रजनी की रजाई
मेरी पलकों पर
हल्का सा
चुम्बन देकर
खींच लाती है
मुझे सपनों की
वादियों से बाहर .
-APSD
bahut achhe ehsaas
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत भाव.
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
सलाम.
बहुत खूबसूरत रचना| धन्यवाद|
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