Sunday, March 20, 2011

किरण

हर सुबह
खिड़कियों से
दाखिल होकर
मेरे कमरे में
किरण ,
समेट कर
रजनी की रजाई
मेरी पलकों पर
हल्का सा
चुम्बन  देकर
खींच लाती है
मुझे सपनों की
वादियों से बाहर .

-APSD

3 comments:

  1. बहुत खूबसूरत भाव.
    सुन्दर रचना.
    सलाम.

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  2. बहुत खूबसूरत रचना| धन्यवाद|

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