Sunday, March 10, 2013

ग्लोबल वार्मिंग

मैं देर से घर आता हूँ
आफिस से आदतन प्रिया
और तुम्हारा पारा चढ़ जाता है
उफ़्फ़ , तुम्हारे गुस्से की आंच में
पिघल रही है
ध्रुवों की बरफ ,
और परेशान हो रहे हैं
ग्लोबल वार्मिंग कहकर
साइन्स्दाँ ख्वाम्खाह !!!

-
अजीतपाल सिंह दैया

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