Saturday, March 9, 2013

आदत

मुनासिब नहीं है आजकल
रात को छ्त पर लेटना
आसमां से चिंगारियों को देखा है मैंने
ज़मीन की ओर गिरते ,
चाँद को आदत हो गयी है शायद
सिगरेटें फूंकने की!

-
अजीतपाल सिंह दैया

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