Tuesday, March 16, 2010

अगाती द्वीप

उस दिन
मैं अगाती द्वीप के
बीच पर
करता रहा दिन भर
चहल -कदमी ,
जब मैं
थक कर हुआ चूर
तो मुझे प्यास लगी ,
सामने हिलोरे मारता सागर
पर इसके पानी को
कैसे पीयूं?
मैंने
बीच की रेती पर
अंगुली से प्रिया लिखा ,
सागर की एक लहर आई
और छू गयी
प्रिया के नाम को .
...मैंने उसी लहर का पानी पीया
...मीठा जो हो गया था
वह पानी !!!!


-अजीत पाल सिंह दैया

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