अजीतपाल सिंह दैया
AJIT PAL SINGH DAIA
Wednesday, April 1, 2009
चाँद
मेरे कमरे के भीतर
जब चाँद मुस्कुराता था
खिला खिला सा
तो मैं क्यों झांकता
खिड़की से बाहर
अब्र में टकटकी लगा कर
चाँद की तलाश में.
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अजीत पाल सिंह दैया
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