Monday, April 6, 2009

तुम


हिमाचल की वादी में

मैंने पुकारा तुम्हें

तुम ध्वनित होती रही

सदा बनकर बार बार ।

मौसम की पहली

बर्फ सी चनार पर

तुम्हारी हँसी ढूंढता हूँ

दाने अनार पर

शायद तुम्हें न एतबार हो

तुम मेरी मुख्तसर सी

नज्म गुलज़ार हो।

----अजीत पाल सिंह दैया



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